
साप्ताहिक राशिफल – मीन चंद्र राशि
मीन राशि के लिए 19–25 मई 2025 का साप्ताहिक राशिफल: गुरु चतुर्थ में – घर, माता और स्थिरता से जुड़ी बातें। राहु-केतु स्वास्थ्य और व्यय में चुनौती लाते हैं।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत को विशेष पुण्यदायक माना गया है। वर्षभर में 24 से 26 एकादशियाँ आती हैं, जिनमें वरुथिनी एकादशी का अत्यंत आध्यात्मिक और दानशील स्वरूप वर्णित है। ‘वरुथिनी’ का अर्थ है ‘रक्षा प्रदान करने वाली’। यह एकादशी प्राणी मात्र को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर आत्म-कल्याण की दिशा में अग्रसर करती है।
पद्म पुराण एवं भविष्य पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, नर्मदा नदी के किनारे महामति मंदाता नामक एक धर्मनिष्ठ राजा राज्य करते थे। एक बार जब वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी एक जंगली भालू ने उनके पैर को पकड़ लिया और घसीटने लगा। राजा ने अत्यंत धैर्य और भक्ति से भगवान विष्णु का स्मरण किया। तभी आकाशवाणी हुई कि यदि तुम वरुथिनी एकादशी का व्रत करते, तो यह विपत्ति न आती। कालांतर में, उस व्रत को संपन्न करने के पश्चात राजा मुक्त होकर दिव्य स्वरूप में विष्णुलोक को प्राप्त हुए।
✅ एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल 2025 को संध्या 4:43 बजे
✅ तिथि समाप्ति: 24 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:32 बजे
✅ व्रत तिथि: 24 अप्रैल 2025 (उदया तिथि अनुसार)
✅ पारण मुहूर्त: 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार – प्रातः 5:46 बजे से 8:23 बजे तक
वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह व्रत ब्रह्महत्या, सुरापान, परस्त्रीगमन, झूठ, चुगली, चोरी जैसे महापापों से भी प्रायश्चित्त देने में समर्थ है। तुलसीदासजी ने भी रामचरितमानस में कहा है:
“हरि बिसरि करि काम सनेहू। करत माया उपजइ गेहू।।”
यह व्रत जीवात्मा को मोहजाल से निकालकर भक्ति के मार्ग में स्थिर करता है।
व्रत के एक दिन पूर्व सात्विक भोजन लें। रात्रि को ध्यान, मंत्रजप, और विष्णु नाम स्मरण करें।
ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें। शुद्ध पीले वस्त्र धारण करें।
मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण एवं लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करें।
उन्हें पीले फूल, अक्षत, पीला चंदन, और तुलसी पत्र अर्पित करें।
दीपक, अगरबत्ती, घंटा व conch द्वारा पूजन करें।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
विष्णु सहस्रनाम पाठ करें।
खीर, दही, फल, शक्करपारे, सूखे मेवे का भोग लगाएं।
आरती करें: “जय जय प्रभु दिनदयाला”, “श्री हरि स्तुति” आदि।
पुनः दीप प्रज्वलित कर विष्णु पूजन करें।
माता लक्ष्मी सहित श्रीहरि का ध्यान करें।
तुलसी पत्र, नैवेद्य, और आरती करें।
सामग्री | धार्मिक महत्त्व |
---|---|
खीर | चंद्रमा शीतलता एवं भक्ति का प्रतीक |
दही | शुद्धता एवं समर्पण का प्रतीक |
फल | प्रकृति के प्रति आभार |
पूरी | परंपरागत सात्विक अन्न |
शक्करपारा | आनंददायक प्रसाद |
तुलसी पत्र | भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय |
पाठ | लाभ |
---|---|
विष्णु सहस्रनाम | मनोवांछित सिद्धि, मानसिक शांति |
विष्णु चालीसा | भक्तिरस संचार |
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 12) | भक्ति योग की सुदृढ़ता |
श्री लक्ष्मी स्तोत्र | ऐश्वर्य, सौभाग्य की प्राप्ति |
वरुथिनी एकादशी पर दान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। विशेषकर:
गाय, तिल, स्वर्ण, वस्त्र, अन्न, जलपात्र
धार्मिक ग्रंथ, तुलसी पौधा, घी का दीपक दान करें
ब्राह्मण भोजन व दक्षिणा अवश्य दें
अनुशंसा: यदि संभव हो तो गोशाला या आश्रम में अन्नदान करें।
गृहस्थों को संतति-सुख और वैवाहिक स्थायित्व प्राप्त होता है
व्यापारी वर्ग को लाभ में वृद्धि और ऋणमुक्ति का संकेत मिलता है
विद्यार्थी वर्ग को स्मरण शक्ति और परिश्रम का पूर्ण फल
स्त्रियों को सौभाग्य, सन्तान एवं सुखद दाम्पत्य का आशीर्वाद
इस वर्ष वरुथिनी एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण योग का संयोग बन रहा है:
यह योग समृद्धि, भूमि लाभ, ऋण निवारण और कलह शमन में सहायक है
संतानहीन दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ परिणामकारक
क्या बिना व्रत रखे भी पुण्य मिल सकता है? हाँ, भगवान विष्णु का नाम स्मरण, तुलसी अर्पण, और श्रीहरि की पूजा भी पुण्यदायक होती है।
किसी कारणवश व्रत टूट जाए तो? मन से क्षमा प्रार्थना करें और अगले मास पुनः श्रद्धा से व्रत करें।
क्या बालक/गर्भवती महिला व्रत रख सकती हैं? नहीं, परंतु वे मन से व्रत का संकल्प लेकर तुलसी दल अर्पण करें और फलाहार करें।
जो भक्तजन श्रद्धा से वरुथिनी एकादशी का व्रत करते हैं, वे सभी प्रकार के दोषों से मुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं। यह व्रत आत्मा को निर्मल, जीवन को अनुशासित, और कर्म को धर्मयुक्त बनाता है। यह व्रत एक दिव्य अवसर है मोक्षमार्ग पर एक सार्थक पग बढ़ाने का।
🔱 हर हर महादेव 🚩
यह सामग्री केवल धार्मिक शिक्षोपयोग हेतु है। कृपया व्रत से पूर्व अपने कुलगुरु, पुरोहित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य करें।
जो भक्तजन श्रद्धा से वरुथिनी एकादशी का व्रत करते हैं, वे सभी प्रकार के दोषों से मुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं। यह व्रत आत्मा को निर्मल, जीवन को अनुशासित, और कर्म को धर्मयुक्त बनाता है। यह व्रत एक दिव्य अवसर है मोक्षमार्ग पर एक सार्थक पग बढ़ाने का।
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