
साप्ताहिक राशिफल – कन्या चंद्र राशि
कन्या राशि साप्ताहिक राशिफल 23–29 जून 2025: दशम भाव में सूर्य–गुरु की युति से करियर और प्रतिष्ठा में वृद्धि, परंतु राहु–केतु की चाल से प्रेम, संतान और भावनाओं में संयम आवश्यक।
दिव्य गीता, जिसे नारद पुराण के एक अध्याय के रूप में जाना जाता है, एक उपनिषद है जो नारद और संत्कुमार के बीच हुआ संवाद का वर्णन करती है। इस गीता में भगवान की महिमा, उनके गुण, भक्ति का मार्ग, और आत्मा का महत्व विस्तार से वर्णित किया गया है। यह ग्रंथ ध्यान योग और भक्ति के महत्व को उजागर करता है और मनुष्य को भगवान की अनुग्रह को प्राप्त करने के लिए संजीवनी मार्ग का मार्गदर्शन करता है।
दिव्य गीता में भगवान नारायण ने भक्ति के महत्व को समझाया है और उन्होंने संत्कुमार को भक्ति योग का उपदेश दिया है।
इस ग्रंथ में भगवान नारायण और संतकुमार के बीच हुए आत्मिक संवाद का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ मन, शरीर, और आत्मा के बीच संतुलन को समझाता है और व्यक्ति को आत्मज्ञान और आत्मसमर्पण की ओर प्रेरित करता है।
आत्मिक ज्ञान का स्रोत: “दिव्य गीता” में भगवान नारायण द्वारा प्रदत्त आत्मिक ज्ञान हमें जीवन के असली और उच्च लक्ष्य को समझाता है। यह ग्रंथ आत्मा के महत्व, धर्म, और कर्म के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है और व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक स्वरूप को समझने के लिए प्रेरित करता है।
भक्ति का मार्ग: नारद जी द्वारा रचित “दिव्य गीता” में भक्ति के महत्व का मार्गदर्शन किया गया है और यह बताया गया है कि भक्ति के माध्यम से व्यक्ति भगवान के साथ अटूट संबंध को स्थापित कर सकता है। यहां भक्ति के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है जैसे कि शांत, दासीभाव, साखीभाव, और वात्सल्यभाव।
आत्मिक साक्षात्कार का माध्यम: आत्मिक साक्षात्कार के लिए “दिव्य गीता” एक महत्वपूर्ण माध्यम है और यह बताता है कि आत्मा ही सच्ची शांति और आनंद का स्रोत है। यह ग्रंथ ध्यान और मनन के माध्यम से आत्मा के आध्यात्मिक स्वरूप को समझाता है और व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
समाप्ति: नारद मुनि द्वारा रचित “दिव्य गीता” आत्मिक ज्ञान, भक्ति, और आत्मसमर्पण के माध्यम से व्यक्ति को आध्यात्मिक उत्थान की ओर प्रेरित करता है। यह ग्रंथ जीवन की सार्थकता और आत्मिक संदेश को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। आत्मिक अनुभव के माध्यम से मनुष्य को अपने आत्मा का ज्ञान प्राप्त होता है और वह आत्मा में ही ईश्वर का अनुभव करता है।
कन्या राशि साप्ताहिक राशिफल 23–29 जून 2025: दशम भाव में सूर्य–गुरु की युति से करियर और प्रतिष्ठा में वृद्धि, परंतु राहु–केतु की चाल से प्रेम, संतान और भावनाओं में संयम आवश्यक।
सिंह राशि साप्ताहिक राशिफल 23–29 जून 2025: लग्न में मंगल–केतु, सूर्य–गुरु की एकादश भाव में युति और दशम चंद्रमा के प्रभाव से यह सप्ताह साहस, आवेग और सामाजिक प्रतिष्ठा के उत्थान–पतन का संकेतक है।
कर्क राशि का 23–29 जून 2025 साप्ताहिक राशिफल: यह सप्ताह संप्रेषण शक्ति, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संयम का है। बुध का लग्न में प्रवेश संवाद को तीव्र करेगा। चंद्र एकादश में — आय और लोकप्रियता बढ़ेगी।